Kavita Jha

Add To collaction

एक डोर में सबको बांधती,वो हिंदी है, लेखनी कविता प्रतियोगिता# आधे-अधूरे मिसरे-25-Jul-2023

कई दिनों तक चूल्हा रोया
गीत (१६,११ पदांत २१)

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास।
भूखे प्यासे रात बिताई, मन में है विश्वास।।

कल वर्षा होगी जोरों से, लहराएंँगे खेत ।
फसल उगेगी अच्छी खासी, मिले हमें संकेत ।।
हाल बुरा ऐसा हुआ है, रहा नहीं कुछ पास ।
क ई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास।।

रूठी है क्यों धरती माता, तरसाती हैं खूब ।
सूख रही है फसलें सारी, सभी रहें हैं ऊब।।
बच्चों को खाना मिल जाता, टूट न जाए इस।
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास।।

कविता झा'काव्य 'अविका''
# लेखनी
# आधे अधूरे मिसरे लेखध

   6
4 Comments

टूट न जाए आस होना चाहिए

Reply

बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति

Reply

Milind salve

12-Aug-2023 12:41 PM

Nice

Reply